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महोत्सव
प्रत्येक वर्ष फाल्गुन एकादशी (बलिदान दिवस)- फरवरी/ मार्च को विशाल मेला लगता है। यह मेला बाबा खाटू श्याम जी का मुख्य महोत्सव है। यह मेला अष्टमी से द्वादश तक लगभग 5 दिनों के लिए आयोजित किया जाता था । भक्तों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए इसकी अवधि बढ़ाकर लगभग 9 से 10 दिन कर दी गई है। लाखों भक्त दुनिया के कोने कोने से मेले में श्याम बाबा के दर्शन करने अपने परिवार और मित्रों के साथ आते हैं। देशभर से श्याम भजन गायक भी आते हैं । वह हर धर्मशाला में संध्या समय श्याम बाबा की ज्योत जगा कर सत्संग कीर्तन करते हैं।
निशान यात्रा
इस मेले में निशान यात्रा का भी बहुत बड़ा महत्व है। निशान यात्रा एक तरह की पदयात्रा होती है जिसमे भक्त हाथो में श्याम ध्वज ( निशान) हाथ में उठाकर श्याम बाबा को चढाने खाटू श्याम जी मंदिर तक जाते है | मुख्यत यह यात्रा रींगस से खाटू श्याम जी तक की जाती है जो १८ किमी की यात्रा है | भक्त अपनी श्रद्दा से इसे जयपुर , दिल्ली कोलकाता और अपने घर से भी शुरू कर देते है | माना जाता है कि पैदल निशान यात्रा करके निशान श्याम बाबा को चढाने से श्याम बाबा शीघ्र ही प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना को पूर्ण करते है |
श्याम बाबा को निशान अर्पण करने की महिमा
श्याम बाबा के महाबलिदान शीश दान के लिए उन्हें निशान चढ़ाया जाता है | यह उनकी विजय का प्रतीक है जिसमे उन्होंने धर्म की जीत के लिए दान में अपना शीश ही भगवान श्री कृष्ण को दे दिया था |
निशान का स्वरूप
निशान मुख्यत : केसरी नीला, सफ़ेद, लाल रंग का झंडा होता है | इन निशानों पर श्याम बाबा और कृष्ण भगवान के जयकारे और दर्शन के फोटो होते है | कुछ निशानों पर नारियल और मोरपंखी भी लगी होती है | इसके सिरे पर एक रस्सी बंधी होती है जिससे यह निशान हवा में लहराता है | आजकल कई भक्त सोने और चांदी के भी निशान श्याम बाबा को अर्पित करते है |
रथयात्रा महिमा
फाल्गुन एकादशी के दिन, दिन में 11:00 बजे रथयात्रा विधि विधान से पूजनादि के बाद प्रारंभ होती है। रथ में श्री श्याम प्रभु की प्रतिमा (जो रथ यात्रियों के लिए बनी है) नीले घोड़े की सवारी पर विराजमान होती है। चौहान राजपूत (सेवक परिवार) जो कि पुजारी हैं, रथ की मंदिर के सामने आरती करते हैं और रथ में आसन ग्रहण करते हैं । चंवर ढुलाते हैं। दर्शनार्थियों को अपने कर कमलों से प्रसाद देते हैं एवं मोर छड़ी से श्रद्धालुओं को श्री श्याम प्रभु का आशीर्वाद देते हैं। प्रसाद व आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। शोभा यात्रा की छवि देखने लायक होती है। स्थानीय ग्राम के नर नारी रथ के दर्शन कर भोजन करते हैं। यह रथ यात्रा मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होकर श्याम कुंड जाती है। कुंड के जल से अभिषेक होता है जहां से श्री श्याम प्रभु का चमत्कारी विग्रह प्राप्त हुआ था। इसके पश्चात रथ यात्रा गणेश दास जी मंदिर के चौराहे से रेवाड़ी धर्मशाला, हॉस्पिटल के पास से पंचायती धर्मशाला होते हुए बाजार की तरफ आती है। मेला संपन्न होने तक रथ की शोभा यात्रा को मुख्य बाजार में दर्शनार्थ रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मेले में आने वाले श्याम भक्तों को देखने व खाटू वासी भक्तों की सुध लेने स्वयं श्याम बाबा साल में एक बार मंदिर से बाहर निकलकर रथ के माध्यम से मेले का भ्रमण करते हैं व श्रद्धालु घरों की छतों पर वह बाहर खड़े होकर बाबा का स्वागत व अभिनंदन करते हैं ।
द्वादशी के दिन शाम को पुनः रथ को रथघर में विराजमान करते हैं। शोभायात्रा श्रद्धा, भक्ति, उत्साह व उमंग से निकलती है इस महोत्सव में 15 से 20000 यात्री एक साथ चलते हैं तथा बीच-बीच में नवीन यात्री प्रवेश करते रहते हैं वह दर्शनों के बाद यात्री निकलते रहते हैं। यह बहुत ही धार्मिक दृश्य होता है।
जन्मोत्सव
खाटू श्याम जी मंदिर में कार्तिक शुक्ल एकादशी की की श्याम बाबा के शीश को दर्शनार्थ सुशोभित किया गया था | इसी कारण इस दिन श्याम बाबा का जन्मदिवस भी मनाया जाता है |